उन्नाव हादसे में आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर बुधवार सुबह भीषण दुर्घटना में 18 लोगों ने अपनी जान गवा दी। इस घटना के बाद एक्सप्रेस-वे और हाईवे पर सड़क सुरक्षा के इंतजामों पर सवाल उठने लगे हैं। हादसे में शामिल वाहन तेज रफ्तार में थे, और यह तथ्य कि लेन के अनुसार न चलने या गलत ओवरटेक करने पर भी कोई चालान नहीं होता, ने सुरक्षा उपायों की कमी को उजागर कर दिया है।
वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन का कहना है कि यदि एक्सप्रेस-वे पर स्पीड कैमरे लगे होते और स्पीड उल्लंघन पर कड़ाई से चालान होते, तो वाहन चालक निर्धारित गति सीमा का उल्लंघन करने से बचते। साथ ही, बसों में सीट बेल्ट की अनिवार्य व्यवस्था भी हादसों में यात्रियों की सुरक्षा को बढ़ा सकती है। जैन ने इस पर भी जोर दिया कि लेन के अनुसार न चलने या गलत ओवरटेक करने पर चालान की व्यवस्था सख्ती से लागू होनी चाहिए।
दुर्भाग्यवश, इलेक्ट्रॉनिक मॉनिटरिंग की व्यवस्था में लेन के उल्लंघन या गलत ओवरटेक पर कोई चालान नहीं होता। इसके अलावा, बसें रातभर चलती रहती हैं, जिससे ड्राइवरों को थकान और नींद की समस्या हो जाती है, जो सड़क हादसों का एक बड़ा कारण बनती है। नियमों के अनुसार, वाहन चालक निर्धारित अवधि से अधिक ड्राइविंग नहीं कर सकते, लेकिन इन नियमों का पालन नहीं किया जाता।
सड़क सुरक्षा के मामले की सुनवाई 11 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में निर्धारित है। अधिवक्ता केसी जैन ने इस संबंध में 8 याचिकाएं दायर की हैं, जिनमें इलेक्ट्रॉनिक मॉनिटरिंग के माध्यम से ट्रैफिक नियमों का अनुपालन, कैशलेस इलाज, हिट एंड रन मामलों में मुआवजे का भुगतान आदि शामिल हैं। इन याचिकाओं का उद्देश्य सड़क सुरक्षा में सुधार और हादसों की संख्या को कम करना है।
इस भीषण हादसे ने एक बार फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या हमारी सड़कों पर पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम हैं। एक्सप्रेस-वे और हाईवे पर यातायात नियमों के सख्त अनुपालन और प्रभावी मॉनिटरिंग की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
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