ट्राई सिटी मीडिया कोऑपरेटिव सोसायटी का गठन 2010 में किया गया था, ताकि मीडिया कर्मियों के लिए एक सुरक्षित और स्थायी आवास की व्यवस्था की जा सके। इस उद्देश्य के तहत, सोसाइटी ने मोहाली में लांड्रा चौक के पास स्थित 14 एकड़ जमीन गीटू बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड से 13,800 रुपये प्रति वर्ग गज की दर से खरीदी। इस सौदे में 200, 250, और 500 वर्ग फुट के प्लॉट शामिल थे, जिन्हें 312 सदस्यों को आवंटित किया गया। यह सौदा उन मीडिया कर्मियों के लिए एक बड़ी उम्मीद लेकर आया था जो अपने लिए एक स्थायी आवास चाहते थे।
गीटू कंस्ट्रक्शन के मैनेजिंग डायरेक्टर प्रदीप गोयल ने सोसाइटी के 312 सदस्यों से वादा किया था कि उन्हें समय पर उनकी जमीन मिलेगी। सदस्यों ने इस वादे पर भरोसा किया और अपने प्लॉट्स की बुकिंग करवा ली। लेकिन समय के साथ, यह परियोजना अधर में लटक गई। बिल्डर्स की ओर से लगातार देरी और अनिश्चितताओं के कारण, कुछ सदस्यों को गहरा अवसाद घेरने लगा। इस तनाव और अवसाद की वजह से कई सदस्यों की मृत्यु भी हो गई, जिससे सोसाइटी में असंतोष और बढ़ता गया।
बिल्डर्स ने अब अपने वादे से पीछे हटते हुए एक नया प्रस्ताव रखा है, जिसमें वे सदस्यों से कह रहे हैं कि वे 40% बढ़ोतरी के साथ अपनी जमा राशि वापस ले लें और जमीन पर मालिकाना हक छोड़ दें। इस स्थिति ने सोसाइटी के सदस्यों को पूरी तरह से आक्रोशित कर दिया है। उन्हें ऐसा लगने लगा है कि बिल्डर्स की नीयत अब ठीक नहीं है और वे उन्हें ठगने की कोशिश कर रहे हैं। इस मामले को सुलझाने के लिए सोसाइटी और बिल्डर्स के बीच कई बार बैठकें भी हुईं, लेकिन अब तक कोई संतोषजनक समाधान नहीं निकल पाया है।
सोसाइटी के सदस्य स्पष्ट रूप से यह कह रहे हैं कि उन्होंने अपनी मेहनत की कमाई से पैसे जमीन के लिए दिए थे और वे केवल जमीन ही चाहते हैं। उनकी नाराजगी इस बात से है कि बिल्डर्स अब तक उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं और उन्हें उनके अधिकारों से वंचित करने की कोशिश कर रहे हैं। सदस्य खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं और इस पूरे मामले में बिल्डर्स की नीयत पर गंभीर सवाल खड़े कर रहे हैं।
आज, सोसाइटी के सदस्यों ने बिल्डर्स के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते हुए धरना दिया और नारेबाजी की। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि अगले दस दिनों के भीतर उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो वे कानूनी कार्रवाई करेंगे। यह आंदोलन उनके अधिकारों के लिए है, और वे इस बात पर अडिग हैं कि उन्हें उनकी जमीन ही मिलेगी। सोसाइटी के सदस्य इस संघर्ष में एकजुट हैं और अपने हक के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं।
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