Punjab Paychecks of veterinary doctors not restored,

Paychecks of veterinary doctors not restored, struggle against government will intensify

वेटेनरी डॉक्टर्स की पे-पेरटी नहीं हुई बहाल, सरकार के खिलफ संघर्ष होगा तेज!

ज्वाइंट एक्शन कमेटी की तरफ से प्रेस कांफ्रेंस कर किया ऐलान, कई सरकारी सुविधाओं का किया बॉयकाट

मोहाली

ज्वाइंट एक्शन कमेटी ऑफ पंजाब वेट्स फॉर पे-पेरटी के सदस्यों द्वारा पंजाब सरकार के खिलाफ अपना संघर्ष तेज किया गया है। मंगलवार को मोहाली में एक प्रेस कांफ्रेंस करते हुए कमेटी के सदस्यों ने कहा कि सरकार द्वारा वेटेनरी डॉक्टर्स की पे-पेरटी बहाल नहीं की गई है। जिससे की नई भर्ती होने वाले डॉक्टर्स का पे-स्केल शुरूआती दौर में ही बहुत कम शुरू किया जा रहा है। ऐसे में यह डॉक्टर्स अपनी सर्विस के अंतिम दौर तक अन्य डॉक्टर्स से नीचे के पे-स्केल पर ही रहेंगे। ज्वाइंट एक्शन कमेटी के कनवीनर डॉ. गुरचरण सिंह, डाॅ. अबदुल मजीद, डॉ. पुनीत मलहोत्रा, डॉ. तेजिंदर सिंह, डॉ. गुरदीप सिंह तथा डॉ. हरमनदीप सिंह ने कहा कि सरकार द्वारा ना केवल हाईकोर्ट के आदेशों की आवलेना की जा रही है बल्कि सरकार अपने ही पे-कमिश्न को दरकिनार कर वेटेनरी डॉक्टर्स के साथ धक्केशाही कर रही है, जिसका जमकर विरोध किया जाएगा।

ज्वाइंट एक्शन कमेटी के सदस्यों ने कहा कि पिछले 40 सालों से चली आ रही वेटेनरी अफसरों सैलरी मेडिकल और डेंटल डॉक्टरों के बराबर चली आ रही थी। लेकिन विगत कांग्रेस की सरकार में इसे कम कर दिया गया था। इसके अलावा मौजूदा आम आदमी पार्टी की सरकार में भी इस गलती को सुधारा नहीं गया। हालाकि कमेटी के सदस्यों की तरफ से बार-बार पशु पालन विभाग के मंत्रियों के साथ मुलाकातें की जा चुकी हैं। लेकिन अंत में केवल एक भरोसा ही हाथ लगता है। उसके अलावा किसी मंत्री ने आज तक वेटेरनी डॉक्टरों की इस गंभीर समस्या को हल करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की है। उन्होंने कहा कि इसको लेकर ज्वाइंट एक्शन कमेटी की तरफ से सरकार की तरफ से विभाग द्वारा मुहैया करवाई जाने वाली कई स्कीमों का बॉयकाट किया है। जिसमें वेटेनरी अफसर भाग नहीं ले रहे हैं और वो काम नहीं कर रहे हैं। लेकिन एमरजेंसी और ओपीडी सेवाओं को बरकरार रखा गया है ताकि बेजुबान जानवरों की सेवा में कोई कमी ना आए।

कमेटी के सदस्यों ने कहा कि अगर सरकार द्वारा अभी भी उनकी समस्याओं को हल नहीं किया गया और उनकी जायज मांगे ना मानी गई तो मजबूरन वेटेनरी डॉक्टरों को अपने हकों के लिए सड़कों पर भी उतरना पड़ सकता है। इसमें किसान जत्थेबंदियों का भी साथ लिया जाएगा। क्योंकि वेटेनरी डॉक्टर किसानों को ही ज्यादा सेवाएं देते हैं और किसान भी वेटेनरी डॉक्टरों के साथ कंधे से कंधा मिला कर खड़े हैं।