Punjab hit & run case

पुलिस की निष्क्रियता के खिलाफ वकील की बहादुरी: हिट एंड रन केस में न्याय की लड़ाई!

पुलिस की निष्क्रियता के खिलाफ वकील की बहादुरी: हिट एंड रन केस में न्याय की लड़ाई!

3 सितंबर 2004 को, चंडीगढ़ के पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के वकील डॉ. रोहित शेखर शमी ने अपनी बहादुरी और सच्चाई के साथ हिट एंड रन केस में एक अनोखा उदाहरण पेश किया। 21 अगस्त 2024 की रात, जब वह अमृतसर से चंडीगढ़ लौट रहे थे, उन्होंने देखा कि जिमिंदरा ट्रैवल्स की एक निजी बस ने उनकी कार को लापरवाही से ओवरटेक किया। कुछ दूरी पर फगवाड़ा के पास, वकील ने देखा कि एक 22 वर्षीय युवक बलबीर कुमार, जो एक मोटर मैकेनिक था, उसी बस से दुर्घटनाग्रस्त होकर मर चुका था। वकील ने तत्काल पुलिस हेल्पलाइन 112 पर कॉल किया, लेकिन पुलिस की निष्क्रियता ने उन्हें निराश कर दिया।

वकील ने घटना की सूचना देने के बाद बार-बार पुलिस को कॉल किया, लेकिन हर बार उनकी शिकायत को टाल दिया गया। उन्होंने अपनी जान को खतरे में डालते हुए बस का पीछा किया और लगातार पुलिस को सूचित करते रहे, लेकिन उन्हें किसी प्रकार की सहायता नहीं मिली। बस ड्राइवर ब्रह्म दत्त, जो लापरवाही से वाहन चला रहा था, ने रुकने के बजाय भागने का प्रयास किया। वकील की दृढ़ता और पुलिस को जवाबदेही ठहराने की धमकी के बाद ही पुलिस हरकत में आई और आखिरकार बस को मोहाली में रोक दिया गया।

मोहाली के पीसीआर प्रभारी अजय पाठक ने तत्परता से कार्रवाई की और बस को रोकने के लिए एक मानव श्रृंखला बनाई, जिसके बाद बस चालक के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। हालांकि, अगले ही दिन पुलिस ने आरोपी को रिहा कर दिया, और वह उसी रूट पर बस चलाने लगा जैसे कुछ हुआ ही न हो। इस घटना ने पुलिस की लापरवाही और हिट एंड रन मामलों में उनकी गंभीरता की कमी को उजागर किया।

देश में पहले भी ऐसे मामले हुए हैं, जैसे कि दिल्ली का निर्भया कांड, जिसमें पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए गए थे। इस मामले में भी, वकील ने पुलिस को बार-बार सूचित किया, लेकिन उन्हें किसी प्रकार की सहायता नहीं मिली। यह घटना पंजाब जैसे संवेदनशील राज्य में पुलिस की निष्क्रियता को दिखाती है, जहां आए दिन आतंकवाद, तस्करी और अपराध होते हैं। पुलिस और सरकार को इस दिशा में कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है।

इस घटना के बाद, वकील डॉ. रोहित शेखर शमी और श्री लखविंदर सिंह सिद्धू ने ‘फ्री लॉ एड’ नामक एक एनजीओ की स्थापना की है। यह एनजीओ सड़क दुर्घटनाओं, साइबर अपराध, आव्रजन धोखाधड़ी और पुलिस लापरवाही के पीड़ितों को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करेगा। उनका उद्देश्य बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों को न्याय दिलाना है और वे इस नेक कार्य के लिए वकीलों और स्वयंसेवकों की तलाश कर रहे हैं।