पंजाब सरकार के एमएलए द्वारा मुख्यमंत्री भगवन्त सिंह मान को लिखी लेटर पाई गई डस्टबिन में , वह भी अरबों रुपये के घोटाले के बारे में ; क्या यही पारदर्शिता है आम आदमी पार्टी सरकार की
मोहाली से एमएलए कुलवंत सिंह के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान को लेटर नंबर 372 dated 25/5/ 2022 का हश्र दोषियों पर कारवाई के बजाए , सरकारी तंत्र से लीक होकर आरोपित अफसरों तक पहुंचना इस बात को साबित करता है कि कहने को पारदर्शिता वाली सरकार पर अपने ही एमएलए की शिकायत तक का कोई असर नहीं होता
क्या है मामला
हजारों करोड़ के स्कैम के दोषियों ख़िलाफ़ विजीलैंस की जांच में दोषी पाये जाने के बाद भी कार्यवाही करने की जगह सरकार की तरफ से सरप्रस्ती देते हुए नियुक्त किया सलाहकार
पिछली सरकार समय विरोधी पक्ष के नेता मौजूदा वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा, मौजूदा एम एल ए गुरप्रीत सिंह गोगी, मौजूदा माल मंत्री ब्रह्म शंकर जिम्पा आदि पिछली सरकार के पास से कार्यवाही की करते रहे माँग परन्तु वह अब चुप क्यों?
विजिलैंस ब्यूरो की सिफारिश के बाद भी मुकदमा दर्ज क्यों नहीं किया ग्या
पंजाब राज लघु उद्योग और निर्यात निगम के बहु चर्चित प्लाट* अलाटमैंट घुटाले को फिर से उजागर करते हुए पंजाब अगेंस्ट करप्शन और पंजाब ह्यूमन राइट्स आर्गेनाइजेशन के अधिकारियों ने कहा कि उन की जत्थेबंदी के सदस्यों की तरफ से पिछली कांग्रेस सरकार समय तब के विरोधी पक्ष नेता हरपाल सिंह चीमा को उपरोक्त घपलो के साथ सम्बन्धित कागज़ -पत्र दिए गए थे जिस कारण आम आदमी पार्टी की तरफ से पंजाब सरकार को उस समय कानूनी नोटिस भेजकर थी सी बी आई जांच की माँग की गई थी और 2मार्च 2021 को मामला पंजाब विधान सभा में भी रखा गया था। इसके अतिरिक्त मौजूदा आप एम एल ए गुरप्रीत सिंह गोगी जो पिछली सरकार के समय चेयरमैन पी एस आई ई सी रहे हैं ने भी कांग्रेस सरकार से इस घोटाले के विरोध में कार्यवाही की माँग की थी।
इस घोटाले में पंजाब राज लघु उद्योग और निर्यात निगम के उच्च आधिकारियों ने मिली भगत करके कीमती प्लाट* अपने रिश्तेदारों और बेनामी व्यक्तियों के नाम अलाट करके अरबें रुपए का चूना सरकार को लगाया है। इस सम्बन्धित शिकायत प्राप्त होने पर पंजाब विजिलैंस ब्यूरो की तरफ से जांच रिपोर्ट नं: 3तारीख़: 04.04.2018 दर्ज करने के उपरांत जांच करने और उक्त कारपोरेशन के ऐस.पी. सिंह चीफ़ जनरल मैनेजर, जसविन्दर सिंह रंधावा जनरल मैनेजर प्लानिंग, अमरजीत सिंह काहलों अस्टेट अफ़सर, विजय गुप्ता सीनियर सहायक वग़ैरा को घपलेबाज़ी के लिए दोषी पाया। विजीलैंस ब्यूरो की तरफ से इन दोषियों के विरुद्ध मुकदमा अधीन धारा 409, 420, 465, 467, 468, 120 -बीज आई.पी.सी. और 13 (1) (ए) र.व. 13 (2) पी.सी. एक्ट 1988 दर्ज करन के लिए 30.01.2019 को मंज़ूरी के लिए सरकार को सिफारिशी पत्र लिखा गया। जब कि कानून मुताबिक विजिलैंस विभाग को किसी भी अपराध के लिए पर्चा दर्ज करने के लिए सरकार से मंज़ूरी लेने की ज़रूरत नहीं है। परन्तु लीक से हट कर यह किया गया। जो कि विजिलैंस विभाग, पंजाब को शक के घेरे में ले आता है।
सोने पर सुहागा करते हुए इन संगीन जुर्मों के अंतर्गत मुकदमा दर्ज करन की मंज़ूरी देने की बजाय उस समय की सरकार और आधिकारियों ने मिली भगत करके इस को खुर्द बुर्द कर दिया और उस समय के मुख्य मंत्री की चिट्ठी का हवाला दे कर विजीलैंस जांच में दोषी डाले जाने के बाद भी मामला ठप्प कर दिया गया था। परन्तु जब कि मुख्य मंत्री पंजाब की तरफ से ऐसी कोई चिट्ठी जारी ही नहीं की गई थी। जिस कारण घोटालेबाजों की तरफ से सरकार और पूरा कंट्रोल करने की कोशिशों जारी थे जो आज भी चल रही हैं।
यहाँ ही बस नहीं हुई बल्कि सरकार ने इस स्कैम के किंगपिन्न ऐस.पी. सिंह के ख़िलाफ़ कार्यवाही करने की जगह और उसकी अपॉइंटमेंट के ख़िलाफ़ पत्र जारी होने के बाद भी रिटायरमेंट उपरांत फिर नौकरी पर बतौर कंसलटेंट रख लिया गया है और उसके ख़िलाफ़ जारी पत्र को खुर्द बुर्द करके नयी सरकार के समय भी वह कसलटैंट उसी विभाग में तैनात है जिस पर तो शक होता है की दोषियों की जड़ें मौजूदा पंजाब सरकार में भी बहुत मज़बूत हैं।
विजीलैंस जांच में अगर सी टी की प्लाट* के अरबें रुपए के घोटाले के इलावा प्लाट* नंबर 657, 426, ई 261, था 211, ई 260 ए, ई 248 मोहाली फेस 9के प्लाट* नंबर 659, अमृतसर फोकल पुआइंट के प्लाट* नंबर 294 और प्लाट* नंबर 426 आदि के बड़े घपले होने साबित हुए हैं।
इसके अलावा मोहाली फेस 8 के प्लाट* नंबर एफ 461 व एफ 462 के घपले करन वाले इनकम टैकस डिपार्टमैंट की तरफ से बार बार नोटिस निकालने के बाद भी बेनामी खरीददारों की पहचान ज़ाहिर करने से भी अफसरों की तरफ से पंजाब सरकार को असमर्थ बना दिया गया है। जिस से यह जाहिर होता है कि मौजूदा भगवंत मान सरकार को मनमुताबिक पंजाब की अफसरशाही चलने नहीं दे रही।
प्रैस कान्फ़्रेंस के द्वारा माँग की गई कि इन घपलो के बारे फिर मुख्य मंत्री पंजाब और पंजाब पुलिस प्रमुख से विजीलैंस जांच मुताबिक कार्यवाही की जाए और जांच में दोषी दिखाऐ गए अफसरों को तुरंत सख़्त सज़ाएं देते हुए, इस घपलो के अरबें रुपए की रिकवरी करके पंजाब के खजाने को मालामाल करना चाहिए। उन्होंने यह भी माँग की कि विभागों में बैठे सभी दोषी अफसरों को साइड लाइन करके ही जांच को सही दिशा दी जा सकती है और इस समय अधीन पुराने रिटायर हुए अफसरों को भी जांच के घेरे में लेना चाहिए तभी यह जांच निष्पक्ष और सही ढंग के साथ संपन्न हो सकती है।
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