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जटिल रीढ़ विकारों से पीड़ित छोटे मरीजों का सफल उपचार!

जटिल रीढ़ विकारों से पीड़ित छोटे मरीजों का सफल उपचार!

काइफोस्कोलियोसिस सर्जरी के जरिए फोर्टिस मोहाली में किया गया सफल उपचार

इलाज में देरी बच्चे की रीढ़ को विकृत कर सकती है, जिससे दिल और फेफड़ों के कार्य प्रभावित हो सकते हैं।

पटियाला, 2 अगस्त, 2024: फोर्टिस अस्पताल मोहाली के ऑर्थोपेडिक्स स्पाइन विभाग की स्कोलियोसिस डिवीजन ने बच्चों में पेडियाट्रिक स्पाइनल विकृतियों का इलाज कर उनके जीवन को बदल दिया है। उन्होंने उत्तर भारत के क्षेत्र में पहली बार दुर्लभ और तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण सर्जरी की है।

फोर्टिस अस्पताल मोहाली के ऑर्थोपेडिक्स स्पाइन विभाग के अतिरिक्त निदेशक डॉ. दीपक जोशी ने काइफोसिस, एडोलसेंट इडियोपैथिक स्कोलियोसिस, जन्मजात स्कोलियोसिस और न्यूरोमस्कुलर स्कोलियोसिस जैसी बीमारियों से पीड़ित कई छोटे मरीजों का इलाज किया है।

स्कोलियोसिस रीढ़ की एक तरह की साइडवेज़ वक्रता है और यह अक्सर किशोरों में निदान की जाती है। यह आमतौर पर इडियोपैथिक होती है, यानी कोई विशिष्ट कारण नहीं होता है।

पहले मामले में, बठिंडा के 14 वर्षीय लड़के का जन्म कॉनजेनिटल हेमिवर्टेब्रा (उसकी रीढ़ की एक तरफ बढ़ नहीं रही थी) के साथ हुआ था, जिसके कारण उसके मध्य पीठ में गंभीर वक्रता विकसित हो गई थी, जिससे वह आगे की ओर झुक गया और साइड में झुक गया। इलाज में देरी से बच्चे की वृद्धि, महत्वपूर्ण अंगों और आत्म-सम्मान पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता था।

डॉ. जोशी के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने हाल ही में इस युवा मरीज पर ‘हेमिवर्टेब्रा एक्सिशन और काइफोस्कोलियोसिस सुधार’ की दुर्लभ प्रक्रिया को सफलतापूर्वक 4 घंटे लंबे ऑपरेशन के दौरान पूरा किया। सर्जरी के अगले दिन ही बच्चा चलने लगा और तीन दिन के बाद उसे बिना ब्रेस के छुट्टी दे दी गई। अब वह पूरी तरह से ठीक हो चुका है और आज सामान्य जीवन जी रहा है।

दूसरे मामले में, राजस्थान के श्रीगंगानगर के 14 वर्षीय लड़के का जन्म कॉनजेनिटल काइफोसिस के साथ हुआ था, जिसमें बच्चे की रीढ़ की हड्डी गर्भ में ही ठीक से विकसित नहीं हो पाई थी। डॉ. जोशी ने मरीज पर ‘पेडिकल सब्ट्रैक्शन ओस्टियोटॉमी (पीएसओ)’ की, जिससे उसकी विकृत रीढ़ की हड्डी को सही किया गया। बच्चा अगले दिन चलने लगा और तीसरे दिन छुट्टी पर घर चला गया।

मामलों पर चर्चा करते हुए डॉ. जोशी ने कहा, “काइफोसिस और स्कोलियोसिस रीढ़ के काफी दुर्लभ और कम पहचाने जाने वाले विकार हैं। इलाज में देरी रीढ़ को विकृत कर सकती है, जिससे बच्चे के दिल और फेफड़ों के कार्य प्रभावित हो सकते हैं। समय पर निदान और उचित उपचार से इस तरह की जटिलताओं को रोकने में काफी मदद मिल सकती है। एक छोटी विकृति को ब्रेस के साथ ठीक किया जा सकता है, जबकि एक बड़ी विकृति के लिए शल्य चिकित्सा सुधार की आवश्यकता होती है। ये सभी सर्जरी विश्व स्तरीय तरीके से की जाती हैं, जो केवल चुनिंदा अस्पतालों जैसे फोर्टिस अस्पताल मोहाली में उपलब्ध हैं।”