Girik Ahuja

Girik Ahuja: Introducing a promising child!

गिरिक आहूजा: एक होनहार बालक का परिचय!

गिरिक आहूजा ने अपनी असाधारण गणितीय क्षमताओं से न केवल अपने माता-पिता का, बल्कि पूरे समुदाय का नाम रोशन किया है। हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के टूटू के निवासी गिरिक, वर्तमान में मोहाली में अपने माता-पिता के साथ रहते हैं। वे मानव मंगल स्मार्ट जूनियर स्कूल में यूकेजी के छात्र हैं। गिरिक की असाधारण प्रतिभा को तब पहचान मिली जब उन्होंने केवल 4 मिनट में 40 मल्टीप्लिकेशन सवालों के सही उत्तर दिए। उनके इस अद्वितीय प्रदर्शन ने उन्हें ‘आईबीआर अचीवर’ के खिताब से सम्मानित किया।

परिवार का प्रभाव

गिरिक के परिवार का शैक्षिक पृष्ठभूमि उनकी सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उनके दादा, स्वर्गीय सुंदर सिंह आहुजा, हिमाचल प्रदेश के शिक्षा विभाग में डिप्टी डायरेक्टर के पद पर कार्यरत थे और गणित के विद्वान थे। गिरिक की मां, छवि आहूजा, गृहिणी हैं और उनका कहना है कि गिरिक के अंदर गणित के प्रति रुचि और समझ उनके दादा से आई है। उनके पिता, अभिषेक आहूजा, एक आईटी प्रोफेशनल हैं, जो अपने बेटे के गणितीय कौशल से बेहद गर्वित हैं।

मेहनत और लगन का फल

गिरिक की मां का मानना है कि उनके बेटे की सफलता उनकी मेहनत, सूझबूझ, और लगन का परिणाम है। गिरिक न केवल गणित में बल्कि अन्य शैक्षणिक क्षेत्रों में भी अपनी लगन और मेहनत से बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। वे नियमित रूप से अभ्यास करते हैं और नई चुनौतियों को स्वीकार करने में खुशी महसूस करते हैं। उनके माता-पिता ने उनके अध्ययन के लिए एक सकारात्मक माहौल तैयार किया है, जो उनकी सफलता का एक बड़ा कारण है।

शिक्षा के क्षेत्र में विशेष योगदान

गिरिक की सफलता का श्रेय उनके स्कूल और शिक्षकों को भी जाता है, जिन्होंने उन्हें सही दिशा में मार्गदर्शन किया। मानव मंगल स्मार्ट जूनियर स्कूल के शिक्षक उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन से बहुत खुश हैं। गिरिक की शिक्षिका ने बताया कि वह हमेशा नई बातें सीखने के लिए उत्सुक रहते हैं और उनके साथ काम करना एक प्रेरणादायक अनुभव है। स्कूल प्रशासन भी गिरिक की उपलब्धियों पर गर्व करता है और उनका मानना है कि गिरिक आगे चलकर और भी बड़ी उपलब्धियां हासिल करेंगे।

भविष्य की संभावनाएँ

गिरिक आहूजा की यह उपलब्धि न केवल उनके परिवार और स्कूल के लिए गर्व की बात है, बल्कि यह सभी बच्चों और अभिभावकों के लिए प्रेरणादायक भी है। गिरिक की इस सफलता से यह सिद्ध होता है कि उम्र के किसी भी पड़ाव पर कठिन मेहनत और समर्पण से किसी भी क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल की जा सकती है। उनके माता-पिता को उम्मीद है कि भविष्य में गिरिक अपनी रुचियों को और विस्तार देंगे और न केवल गणित बल्कि अन्य शैक्षणिक और गैर-शैक्षणिक क्षेत्रों में भी अपना योगदान देंगे। गिरिक की इस उपलब्धि से प्रेरित होकर कई अन्य बच्चे भी अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित हो सकते हैं। गिरिक की कहानी एक उदाहरण है कि सही दिशा और समर्थन के साथ बच्चे किसी भी चुनौती को पार कर सकते हैं।