WTC Mohali Scam

200 investors defrauded in collusion with WTC and GMADA

मोहाली रियल एस्टेट घोटाला: डब्ल्यूटीसी और जीएमएडीए की मिलीभगत से 1200 निवेशक ठगे गए!

मोहाली, 24 जुलाई 2024 – जीएमएडीए द्वारा 2015 में डब्ल्यूटीसी नोएडा डेवलपमेंट कंपनी प्राइवेट लिमिटेड को आवंटित 8 एकड़ भूमि पर प्रस्तावित वाणिज्यिक परियोजना अब बड़े पैमाने पर निवेश घोटाले के रूप में सामने आई है। इस घोटाले में 1200 निवेशकों से लगभग 432 करोड़ रुपये की ठगी की गई है।

परियोजना की शुरुआत और निवेशकों का धोखा

डब्ल्यूटीसी को जीएमएडीए से 2015 में मोहाली के एसएएस नगर में नीलामी द्वारा 131.33 करोड़ रुपये की कीमत पर 8 एकड़ भूमि मिली थी। आवंटन पत्र के अनुसार, डब्ल्यूटीसी को परियोजना बेचने की स्वतंत्रता दी गई, जिससे उन्होंने निवेशकों को 10% की सुनिश्चित वापसी और 2021 तक परियोजना के पूरा होने का आश्वासन देकर अपनी ओर आकर्षित किया।

हालांकि, परियोजना न केवल समय पर पूरी नहीं हुई, बल्कि मार्च 2022 के बाद से डब्ल्यूटीसी ने निवेशकों को कोई रिटर्न भी नहीं दिया। निवेशकों ने कहा कि अधिकांश ने 70% से 90% तक की भुगतान की थी, फिर भी परियोजना का कार्य अधूरा रहा।

डब्ल्यूटीसी की वित्तीय अनियमितताएँ

डब्ल्यूटीसी ने न केवल निवेशकों से 432 करोड़ रुपये एकत्र किए बल्कि वित्तीय संस्थानों से 176 करोड़ रुपये का ऋण भी लिया। बावजूद इसके, मार्च 2022 में निर्माण कार्य बंद हो गया और निर्धारित भुगतान भी रोक दिए गए।

पीबी रेरा की 6 अप्रैल 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, 31 मार्च 2022 तक परियोजना से 77.04 करोड़ रुपये की अतिरिक्त निकासी की गई थी। यह सब दिखाता है कि डब्ल्यूटीसी की वित्तीय स्थिति कितनी खराब है और उन्होंने निवेशकों के धन का दुरुपयोग कैसे किया।

जीएमएडीए की लापरवाही

जीएमएडीए की भी इस घोटाले में अहम भूमिका रही है। आवंटन पत्र में स्पष्ट तौर पर डब्ल्यूटीसी को परियोजना बेचने की अनुमति दी गई थी, लेकिन जीएमएडीए ने न तो परियोजना की निगरानी की और न ही सार्वजनिक हित की सुरक्षा के लिए कोई शर्तें रखीं। यहां तक कि जब डब्ल्यूटीसी ने ईएमआई का भुगतान नहीं किया, तो जीएमएडीए ने तुरंत प्लॉट जब्त करने का फैसला लिया।

पीबी रेरा की भूमिका

इस परियोजना को पीबी रेरा के साथ पंजीकृत किया गया था। लेकिन मार्च 2022 तक, डब्ल्यूटीसी द्वारा 77.02 करोड़ रुपये की अतिरिक्त निकासी के बावजूद, पीबी रेरा ने परियोजना की प्रगति की निगरानी नहीं की और न ही डब्ल्यूटीसी को दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए मजबूर किया।

डब्ल्यूटीसी का संदिग्ध व्यवहार

डब्ल्यूटीसी का इतिहास संदिग्ध रहा है। इसके प्रमोटरों की आम प्रथा रही है कि जब भी परियोजना को पूरा करने का दबाव बढ़ता है, वे नए निवेशक या बिल्डर की घोषणा करते हैं। हाल ही में 23 जुलाई 2024 को, इकोनॉमिक टाइम्स में खबर आई कि भूटानी ग्रुप ने डब्ल्यूटीसी के साथ राजस्व साझाकरण मॉडल पर साझेदारी की है, लेकिन इस पर डब्ल्यूटीसी की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।

निष्कर्ष और समाधान

इस घोटाले से स्पष्ट है कि जीएमएडीए और डब्ल्यूटीसी की मिलीभगत से आम जनता को बड़ा नुकसान हुआ है। जीएमएडीए को समय पर ईएमआई भुगतान का पालन सुनिश्चित करना चाहिए था और पीबी रेरा को भी परियोजना की प्रगति की निगरानी करनी चाहिए थी।

निवेशकों की मांग है कि सरकार और संबंधित प्राधिकरण इस मामले की गहन जांच करें और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें ताकि भविष्य में इस तरह की धोखाधड़ी से बचा जा सके।