चंडीगढ़, 27 सितंबर 2024: पंजाब भाजपा के बड़े नेता और पूर्व मंत्री फतेह जंग सिंह बाजवा, उनकी पत्नी हनीला बाजवा और अन्य लोगों पर गांव रसूलपुर के किसानों की 3 एकड़ कृषि भूमि को धोखाधड़ी से अपने नाम रजिस्ट्री करवाने का गंभीर आरोप लगा है।
इस जमीन को लेकर पीड़ित परिवार ने आरोप लगाया है कि बाजवा ने तहसीलदार और पटवारियों की मिलीभगत से जमीन हड़पने की साजिश रची। पीड़ित परिवार का कहना है कि उन्होंने इस मामले की शिकायत मुख्यमंत्री, डीसी मोहाली, और पंजाब के अन्य उच्च अधिकारियों से की है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। परिवार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर न्याय की मांग की है और इस फर्जी रजिस्ट्री को रद्द करने की अपील की है। चंडीगढ़, 27 सितंबर 2024: पंजाब में भाजपा सरकार पर लंबे समय से किसान विरोधी होने का आरोप लगता रहा है।
यह आरोप तब और भी प्रबल हो गए जब भाजपा के बड़े नेता और पूर्व मंत्री फतेह जंग सिंह बाजवा, उनकी पत्नी हनीला बाजवा और अन्य पर गांव रसूलपुर के किसानों की 3 एकड़ कृषि भूमि को हड़पने का आरोप लगा। यह मामला तब सामने आया जब कुछ अज्ञात लोगों ने जमीन के वर्तमान वारिसों को खेत में प्रवेश करने से रोकते हुए दावा किया कि अब यह जमीन बाजवा परिवार की है। मामले की शुरुआत 1947 में हुई, जब किसानों के दादा ने यह जमीन खरीदी थी। वर्तमान में इस जमीन के 16 वारिस हैं, जिन्होंने पीढ़ियों से इस पर खेती की है। लेकिन बाजवा परिवार ने 2023 में साजिश के तहत इस जमीन पर कब्जा करने की योजना बनाई।
18 जुलाई 2024 को फतेह जंग सिंह बाजवा ने अपनी पत्नी के नाम पावर ऑफ अटॉर्नी बनवाकर जमीन की रजिस्ट्री करवा ली। जमीन हड़पने की इस साजिश में माजरी तहसील की पूर्व तहसीलदार जसबीर कौर और पटवारी अभिजोत सिंह भी शामिल थे।
2 अगस्त 2024 को बाजवा ने इन सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से 1947 के पहले के वारिसों से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जमीन का हस्तांतरण करवा लिया और 19 अगस्त को अपनी पत्नी हनीला बाजवा के नाम रजिस्ट्री करवा ली।
पीड़ित किसानों का आरोप है कि उन्होंने पहले ही अधिकारियों को इस जमीन घोटाले की जानकारी दी थी। उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री, डीसी मोहाली, और अन्य उच्च अधिकारियों को पत्र लिखकर जमीन के हस्तांतरण को रोकने की मांग की थी। डीसी मोहाली ने उनकी याचिका पर कार्रवाई भी की, लेकिन एसडीएम खरड़ और अन्य अधिकारियों ने इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया।
पीड़ित किसानों का कहना है कि उनके पास 1947 की जमीन खरीद की रजिस्ट्री की कॉपी और अन्य सभी आवश्यक दस्तावेज हैं। इसके बावजूद बाजवा परिवार ने तहसीलदार और पटवारी के साथ मिलकर करोड़ों की इस जमीन को अपने नाम करवा लिया। उनका कहना है कि यदि समय पर उचित कार्रवाई की जाती, तो यह भूमि घोटाला रोका जा सकता था।
जमीन के वारिसों ने इस मामले पर गहरी नाराजगी व्यक्त करते हुए पंजाब सरकार से न्याय की मांग की है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार भ्रष्टाचार खत्म करने की बात करती है, तो उनके मामले में क्यों कोई कार्रवाई नहीं हो रही? किसानों ने इस घोटाले की गहन जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। गांव रसूलपुर के सरपंच और अन्य स्थानीय लोगों ने भी इस मामले में किसानों का समर्थन किया है। उन्होंने मांग की है कि जमीन के असली वारिसों को उनका हक वापस दिलाया जाए और दोषियों को सजा दी जाए।
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