journalists

Big victory for journalists: Government withdrew broadcast bill

पत्रकारों की बड़ी जीत: सरकार ने वापस लिया ब्रॉडकास्ट बिल!

भारत सरकार ने नया ब्रॉडकास्ट बिल वापस ले लिया है, जिससे एक महत्वपूर्ण जीत की भावना बनी है। यह बिल मुख्यतः डिजिटल और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के कंटेंट को नियंत्रित करने का प्रस्ताव था। इसमें एक नई रेगुलेटरी बॉडी बनाने, सेल्फ रेगुलेशन के लिए टू-टियर सिस्टम लागू करने और डिजिटल कंटेंट पर निगरानी समिति बनाने की बात की गई थी। सरकार का तर्क था कि इससे फेक न्यूज और हेट स्पीच पर लगाम लगेगी। हालांकि, इसके प्रस्तावित मसौदे ने कई डिजिटल क्रिएटर्स और पत्रकारों में चिंता पैदा कर दी थी, जिन्होंने इसे सेंसरशिप के रूप में देखा।

सरकार ने इस बिल को वापस लेने की घोषणा की है, और इसके लिए एक नया ड्राफ्ट तैयार करने की बात कही है। इस निर्णय ने डिजिटल मीडिया में एक राहत की लहर पैदा की है, क्योंकि यह बिल सीधे तौर पर मीडिया की स्वतंत्रता को प्रभावित कर सकता था। कई पत्रकार और मीडिया हाउस इस बात को लेकर चिंतित थे कि इस बिल के लागू होने से सरकार की आलोचना करने वाले कंटेंट को सेंसर किया जा सकता है। इसके अलावा, यह बिल चुनिंदा लोगों को ही इसका मसौदा दिखाने के कारण विवादित हो गया था।

इसके अलावा, यह भी कहा गया कि सरकार ने बिल को पब्लिक डोमेन में नहीं रखा, जिससे लोगों को इसके बारे में विस्तृत जानकारी नहीं मिली। सरकार ने कहा है कि अब इसके ड्राफ्ट पर सार्वजनिक टिप्पणियों और सुझावों के लिए और समय दिया जाएगा, और इसके बाद ही एक नया ड्राफ्ट प्रकाशित किया जाएगा। यह कदम उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जिन्होंने इस बिल को लेकर विरोध दर्ज किया था, और यह दर्शाता है कि सरकार ने उनकी चिंताओं को गंभीरता से लिया है।

दूसरी ओर, यह बिल डिजिटल मीडिया के लिए एक गंभीर चिंता का विषय था क्योंकि इसके द्वारा सरकार की आलोचना और संवैधानिक अधिकारों पर प्रतिबंध लग सकता था। इस बिल की आलोचना करने वालों का कहना था कि यह लोकतंत्र में मीडिया की स्वतंत्रता को सीमित करने का प्रयास है। यह भी आरोप था कि सरकार ने मीडिया को नियंत्रित करने और अपनी आलोचना को दबाने के लिए इस बिल को लाने का प्रयास किया था।

अंततः, इस घटनाक्रम ने यह सिद्ध कर दिया कि डिजिटल मीडिया और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए संघर्ष जारी रहेगा। हालांकि सरकार ने फिलहाल इस बिल को वापस ले लिया है, लेकिन यह देखने की बात होगी कि भविष्य में यह मुद्दा कैसे प्रगति करता है। फिलहाल, मीडिया की स्वतंत्रता की रक्षा में यह एक महत्वपूर्ण सफलता मानी जा सकती है।