कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कलबुर्गी हत्या मामले में जमानत देने से इनकार किया था, जिसका हवाला देकर राज्य सरकार ने गौरी लंकेश हत्या मामले में तीन आरोपियों की जमानत याचिका खारिज करने की मांग की है। गौरी लंकेश, एक प्रमुख पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता, की हत्या 5 सितंबर 2017 को बेंगलुरु में उनके आवास पर कर दी गई थी। इस मामले ने पूरे देश में आक्रोश फैलाया था और कई प्रदर्शन और विरोध हुए थे।
राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय में प्रस्तुत की गई अपनी याचिका में कहा कि कलबुर्गी हत्या मामले में जमानत न देने का फैसला इस मामले में भी लागू होना चाहिए, क्योंकि दोनों मामलों में आरोपियों के खिलाफ ठोस सबूत मौजूद हैं और उनकी रिहाई से जांच प्रभावित हो सकती है। सरकार ने तर्क दिया कि आरोपियों की जमानत मिलने से गवाहों को धमकाने या सबूतों से छेड़छाड़ की संभावना है।
गौरी लंकेश हत्या मामले में तीन आरोपियों के वकील ने अदालत में अपनी दलीलें प्रस्तुत करते हुए कहा कि उनके मुवक्किल निर्दोष हैं और उन्हें गलत तरीके से फंसाया जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि आरोपियों का इस हत्या से कोई संबंध नहीं है और उन्हें केवल संदेह के आधार पर गिरफ्तार किया गया है। वकील ने यह भी कहा कि आरोपियों के पास से कोई ठोस सबूत नहीं मिले हैं जो उन्हें हत्या से जोड़ते हों।
अदालत ने राज्य सरकार और आरोपियों के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद मामले की गंभीरता को देखते हुए फिलहाल जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। न्यायालय ने यह भी संकेत दिया कि वह मामले के सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए एक निष्पक्ष और न्यायसंगत निर्णय लेगा। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख भी निर्धारित कर दी है।
इस बीच, गौरी लंकेश के परिवार और समर्थकों ने उच्च न्यायालय से उम्मीद जताई है कि वह आरोपियों की जमानत याचिका को खारिज करेगा और न्याय सुनिश्चित करेगा। उन्होंने कहा कि गौरी लंकेश की हत्या सिर्फ एक व्यक्ति की हत्या नहीं है, बल्कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला है। परिवार ने न्याय की मांग करते हुए कहा कि दोषियों को सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए ताकि ऐसे कृत्यों की पुनरावृत्ति न हो।
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