चंडीगढ़, 11 फरवरी 2025: भारत सरकार के “टीबी मुक्त भारत” मिशन के समर्थन में, एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम) नॉर्थ रीजन ने चंडीगढ़ के स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर एक सामाजिक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया। इस पहल के तहत, टीबी मरीजों को खाद्य सामग्री की टोकरी वितरित की गई, जिससे उन्हें बेहतर पोषण मिल सके और उनका उपचार अधिक प्रभावी हो। इस कार्यक्रम का उद्देश्य समाज में टीबी के प्रति जागरूकता बढ़ाना और मरीजों को संपूर्ण सहयोग प्रदान करना है।
कार्यक्रम में यूटी चंडीगढ़ के हेल्थ सेक्रेटरी अजय चगति, आईएएस, और हेल्थ सर्विसेज डायरेक्टर डॉ. सुमन सिंह विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए। उन्होंने इस पहल की सराहना करते हुए इसे टीबी उन्मूलन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। इस कार्यक्रम में 60 से अधिक टीबी मरीजों को पोषणयुक्त खाद्य सामग्री दी गई, ताकि उनके इलाज के दौरान आवश्यक पोषण की पूर्ति हो सके।
सतत पोषण सहायता का वादा
हेल्थ सेक्रेटरी अजय चगति ने एसोचैम की इस पहल की प्रशंसा करते हुए कहा कि सरकार और उद्योग जगत की संयुक्त भागीदारी से ही टीबी को समाप्त किया जा सकता है। उन्होंने आश्वासन दिया कि अगले छह महीनों तक मरीजों को लगातार खाद्य सामग्री प्रदान की जाएगी, जिससे उनकी सेहत में सुधार हो और इलाज की सफलता दर बढ़े।
टीबी मामलों की बढ़ती संख्या पर चिंता
डॉ. सुमन सिंह ने टीबी मामलों में हो रही बढ़ोतरी पर चिंता जाहिर की। उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ग्लोबल ट्यूबरक्लोसिस रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि 2021 में 5.8 मिलियन टीबी मामले दर्ज किए गए थे, जो 2022 में बढ़कर 6.4 मिलियन और 2023 में अनुमानित 7.5 मिलियन तक पहुंच सकते हैं। चंडीगढ़ में हर साल करीब 7,000 नए टीबी मामले सामने आते हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि इस बीमारी को रोकने के लिए सामूहिक प्रयासों की जरूरत है।
उद्योग जगत की भागीदारी आवश्यक
एसोचैम चंडीगढ़ यूटी काउंसिल के चेयरमैन एवं एसएमएल इसुजु के सीएफओ राकेश भल्ला ने प्रशासन और एसोचैम के संयुक्त प्रयासों की सराहना की। उन्होंने उद्योग जगत से अपील की कि वे भी इस तरह की सामाजिक पहलों में सक्रिय योगदान दें और टीबी मुक्त भारत मिशन को मजबूती प्रदान करें।
टीबी से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने की जरूरत
एसोचैम पंजाब स्टेट काउंसिल के चेयरमैन एवं सरस्वती ग्रुप ऑफ कंपनीज के डायरेक्टर अभि बंसल ने टीबी को लेकर समाज में व्याप्त भ्रांतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि सही इलाज और जागरूकता से इस बीमारी को पूरी तरह खत्म किया जा सकता है। उन्होंने सरकार, उद्योग जगत और नागरिक समाज से मिलकर इस लड़ाई में योगदान देने की अपील की।
सामाजिक दृष्टिकोण से भी लड़ाई जरूरी
एसोचैम चंडीगढ़ यूटी काउंसिल के को-चेयरमैन और हीलिंग हॉस्पिटल चंडीगढ़ के मैनेजिंग पार्टनर दृशमीत बुट्टर ने प्रधानमंत्री की टीबी उन्मूलन पहल की सराहना की। उन्होंने कहा कि टीबी केवल एक चिकित्सा समस्या नहीं, बल्कि एक सामाजिक समस्या भी है। इसके उन्मूलन के लिए अधिक जागरूकता और सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है।
निजी क्षेत्र की भागीदारी से मिलेगा बल
टॉर्क फार्मास्युटिकल्स प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर अभय इकबाल सिंह बेदी ने कार्यक्रम की सफलता के लिए एसोचैम और चंडीगढ़ प्रशासन को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि फार्मा और हेल्थकेयर कंपनियों को भी इस अभियान में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए, ताकि दवाओं के साथ-साथ पोषण संबंधी आवश्यकताएं भी पूरी हो सकें।
एसोचैम की प्रतिबद्धता
एसोचैम ने यह स्पष्ट किया कि वह भविष्य में भी सामाजिक जागरूकता और स्वास्थ्य सुधार से जुड़ी पहलों को जारी रखेगा। संगठन ने अन्य कॉर्पोरेट्स, गैर-सरकारी संगठनों और सरकारी संस्थानों से आह्वान किया कि वे इस मिशन का हिस्सा बनें और टीबी मुक्त भारत के लक्ष्य को साकार करने में योगदान दें।
टीबी उन्मूलन के लिए एकजुटता आवश्यक
इस पहल के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि टीबी के खिलाफ लड़ाई केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि पूरे समाज को मिलकर इसे समाप्त करने के लिए प्रयास करने होंगे। बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं, जागरूकता अभियानों और पोषण संबंधी सहायता से ही भारत एक टीबी मुक्त भविष्य की ओर बढ़ सकता है।
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