उत्तराखंड राम लीला कमेटी मौली कंपलेक्स द्वारा प्रस्तुत रामलीला का सीता स्वयंबर प्रसंग श्रद्धालुओं के लिए एक अद्भुत और यादगार अनुभव रहा। इस रामलीला में सीता स्वयंबर की भव्यता और उसके अद्वितीय दृश्यों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कलाकारों के उत्कृष्ट अभिनय और दृश्य प्रभावों ने सीता के विवाह के इस ऐतिहासिक प्रसंग को जीवंत कर दिया, जिससे पूरे आयोजन में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी।
मंच पर मुख्य आकर्षण धनुष खंडन का दृश्य रहा। भगवान राम द्वारा शिव धनुष को तोड़ने का यह अद्भुत दृश्य श्रद्धालुओं के बीच उत्सुकता और भावुकता का केंद्र बना रहा। दर्शकों ने इस दृश्य को गहरी श्रद्धा और उत्साह के साथ देखा, जो रामायण के इस अमर प्रसंग की पवित्रता को और बढ़ा गया। राम का किरदार निभाने वाले नितेश धौलाखंडी ने इस दृश्य में अपने शांत और दृढ़ व्यक्तित्व से भगवान राम के चरित्र को पूरी तरह जीवंत कर दिया।
इसके बाद लक्ष्मण-परशुराम संवाद ने दर्शकों को विशेष रूप से प्रभावित किया। ऋषि धौलाखंडी द्वारा लक्ष्मण का गुस्सैल और वीर स्वभाव बखूबी उकेरा गया, जबकि गोरव जोशी ने परशुराम के क्रोधित किंतु ज्ञान से भरे हुए स्वरूप को सजीव कर दिया। यह संवाद रामायण का एक महत्वपूर्ण प्रसंग है, जिसमें भगवान परशुराम और लक्ष्मण के बीच तीखी बहस होती है, लेकिन अंत में परशुराम भगवान राम की महानता को स्वीकार करते हैं।
रामलीला के इस मंचन में सभी कलाकारों ने अपने-अपने किरदारों को इतनी बखूबी निभाया कि दर्शक पूरी तरह से उसमें डूब गए। दक्ष पंवार ने सीता के रूप में अपनी कोमलता और शालीनता से दर्शकों का दिल जीत लिया। सीता के पिता जनक की भूमिका में बसंत जोशी ने एक आदर्श पिता का चरित्र बखूबी निभाया, जबकि सुनैना का किरदार मोहित सेमवाल ने संवेदनशीलता के साथ प्रस्तुत किया।
सहायक भूमिकाओं में दीपक करगेती ने भाट का किरदार बेहद प्रभावी ढंग से निभाया। अनुराग गौड़ द्वारा ऋषि वशिष्ट का शांत और ज्ञानी स्वरूप भी सराहनीय रहा। इस दौरान, सखियों के रूप में दिशा जोशी, गौरी, और हिमांशी ने अपनी मनमोहक अदाओं से दर्शकों को खूब रिझाया और रंगमंच पर जीवंतता का माहौल बनाए रखा।
रावण के किरदार में नरेश धौलाखंडी ने अपने दमदार अभिनय से एक शक्तिशाली और क्रूर शासक का स्वरूप दर्शकों के सामने रखा। इसी तरह छ्ब्बीराजा की भूमिका में कैलाश धौलाखंडी ने अपने चरित्र को इतनी प्रभावी ढंग से निभाया कि दर्शक उनके अभिनय की सराहना किए बिना नहीं रह सके।
विशेषकर दूत के रूप में गौरव धौलाखंडी (हनी) ने अपनी संवाद अदायगी और हाव-भाव से दर्शकों पर गहरी छाप छोड़ी। इसी प्रकार, बाणासुर की भूमिका में नीरज रावत का अभिनय भी प्रशंसा का पात्र बना।
आखिर में, विभिन्न राजाओं के रूप में राहुल बिष्ट, अंकुश भंडारी, रवि गुप्ता, गौरव धोलाखंडी, और गोरव जोशी ने अपने-अपने किरदारों को पूरी शिद्दत से निभाया। सभी ने परशुराम के क्रोधित स्वभाव और उनके संवादों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया, जिसे दर्शकों द्वारा खूब सराहा गया।
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